जिंदगी में कम से कम एक बार होना चाहिए
मेरी ख्वाहिश है सभी को प्यार होना चाहिए !
इश्क में और जंग में हर दांव जायज़ है, मगर
आदमी पर सामने से, वार होना चाहिए !
नाम भी मजनूँ का गाली बन गया इस दौर में
बोलो, कितना और बंटाधार होना चाहिए !
लैस है, 'वृषभान की बेटी' नयी तकनीक से ,
'सांवरे' का भी नया अवतार होना चाहिए !
हाय क्या मासूमियत, क्या क़त्ल करने का हुनर
आपका तो नाम ही , तलवार होना चाहिए !
आँख भी जब बंद हो और वो तसव्वुर में न हो
ऐसे लम्हों पे तो बस, धिक्कार होना चाहिए !
जिंदगी तुझसे कभी कुछ, और मांगूंगा नही
जिस तरह भी हो, विसाल-ए-यार होना चाहिए
खासियत क्या इश्क की 'आनंद' से पूछो ज़रा
सच बता देगा मगर, ऐतबार होना चाहिए !!
-आनंद द्विवेदी १३-०५-२०११
जिंदगी में कम से कम एक बार होना चाहिए
जवाब देंहटाएंमेरी ख्वाहिश है सभी को प्यार होना चाहिए !...........bahut sundar..........kaash aisa ho jaaye..ki har shakhs ek baar pyaar kar le.......aameen
आँख भी जब बंद हो और वो तसव्वुर में न हो
जवाब देंहटाएंऐसे लम्हों पे तो बस, धिक्कार होना चाहिए !
waah
वाह …………प्यार की सुन्दर अनुभूति…………शानदार्।
जवाब देंहटाएंलैस है, 'वृषभान की बेटी' नयी तकनीक से ,
जवाब देंहटाएं'सांवरे' का भी नया अवतार होना चाहिए !
हाय क्या मासूमियत, क्या क़त्ल करने का हुनर
आपका तो नाम ही , तलवार होना चाहिए !
वाह क्या बात है ..बहुत खूबसूरत गज़ल
वाह ... हर शब्द बेमिसाल ... ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय आनंद द्विवेदी जी,
जवाब देंहटाएंजिंदगी में कम से कम एक बार होना चाहिए
मेरी ख्वाहिश है सभी को प्यार होना चाहिए
खासियत क्या इश्क की 'आनंद' से पूछो ज़रा
सच बता देगा मगर, ऐतबार होना चाहिए
अच्छी रचना ! अच्छे भाव !
बहुत सुंदर लिखा आपने.....
खासियत क्या इश्क की 'आनंद' से पूछो ज़रा
जवाब देंहटाएंसच बता देगा मगर, ऐतबार होना चाहिए !!
ऐतबार होना चाहिए , कोई तर्क नहीं
"जिंदगी तुझसे कभी कुछ और मांगूंगा नहीं
जवाब देंहटाएंजिस तरह भी हो विसाल-ए-यार होना चाहिए "
................................खूबसूरत शेर
........उम्दा ग़ज़ल ,,,,,,,,,हर शेर बेहतरीन
इश्क में और जंग में हर दांव जायज़ है, मगर
जवाब देंहटाएंआदमी पर सामने से, वार होना चाहिए !
आँख भी जब बंद हो और वो तसव्वुर में न हो
ऐसे लम्हों पे तो बस, धिक्कार होना चाहिए !
जिंदगी तुझसे कभी कुछ, और मांगूंगा नही
जिस तरह भी हो, विसाल-ए-यार होना चाहिए
ufff ek ek sher lajwaab Anand ji.
खासियत क्या इश्क की 'आनंद' से पूछो ज़रा
सच बता देगा मगर, ऐतबार होना चाहिए
ab bata hi dijiye..hume to ap par bahut aitbaar hai.:)
प्यार एक बार नही,बार बार होना चाहिये। बहुत सुन्दर भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति है
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 17 - 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
जिंदगी में कम से कम एक बार होना चाहिए
जवाब देंहटाएंमेरी ख्वाहिश है सभी को प्यार होना चाहिए !waah... bhut khubsurat rachna...
यह एक ऐसी संवेद्य ग़ज़ल है जिसमें हमारे यथार्थ का मूक पक्ष भी बिना शोर-शराबे के कुछ कह कर पाठक को स्पंदित कर जाता है।
जवाब देंहटाएंलैस है, 'वृषभान की बेटी' नयी तकनीक से ,
जवाब देंहटाएं'सांवरे' का भी नया अवतार होना चाहिए !
bahut khub....bahut satik gazal jindagi ki phir tho yaha aajकम से कम फिर तो आज के वक़्त हर इंसान को सांवरे बन चाहिए
इश्क में और जंग में हर दांव जायज़ है, मगर
जवाब देंहटाएंआदमी पर सामने से, वार होना चाहिए !
अच्छी रचना के लिए बधाई |
हाय क्या मासूमियत, क्या क़त्ल करने का हुनर
जवाब देंहटाएंआपका तो नाम ही , तलवार होना चाहिए !
सुन्दर भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति. अच्छी रचना के लिए बधाई.
:-) Good one.
जवाब देंहटाएंइश्क में और जंग में हर दांव जायज़ है, मगर
जवाब देंहटाएंआदमी पर सामने से, वार होना चाहिए !
खासियत क्या इश्क की 'आनंद' से पूछो ज़रा
सच बता देगा मगर, ऐतबार होना चाहिए !!
आपके शब्दों की पकड़ लाज़वाब है !
सारे शेर मोतियों की तरह पिरोये हैं
और सबकी चमक भी किस्म किस्म की है..!
बहुत खूब से ज्यादा कुछ नहीं.....!!
बेहतरीन ग़ज़ल आनंद भाई.... हर शेर अच्छा बन पड़ा है.. शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंanand ji namaskar...kya kahu apki ye kabita pichhle kai dino se gun guna rahi thi...or aaj majbur hoke waps se padhne apke bolg pe chali aai...behad khubsurat kabita khi hai aapne...kaise likh le te ho aap..kabhi mujhe jarur bataiega.....ye line behad khubsurat hai...जिंदगी में कम से कम एक बार होना चाहिए
जवाब देंहटाएंमेरी ख्वाहिश है सभी को प्यार होना चाहिए !
इश्क में और जंग में हर दांव जायज़ है, मगर क्या क़त्ल करने का हुनर
आपका तो नाम ही , हाय क्या मासूमियत, तलवार होना चाहिए !
आदमी पर सामने से, वार होना चाहिए !
सुन्दर अभिव्यक्ति अच्छी रचना के लिए बधाई.
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