रविवार, 10 अप्रैल 2011

मुझको अक्सर भड़काते है ये सपने


क्या क्या सपने दिखलाते हैं ये सपने,
एकदम पीछे पड़ जाते हैं,  ये सपने   !

मैंने हर खिड़की दरवाजा बंद किया था,
जाने किस रस्ते आते हैं,  ये सपने    !

इनको मालूम है मैं इनसे डरता हूँ,
मुझे डराने आ जाते हैं,   ये सपने !

इनको अक्सर मैं समझाकर चुप करता हूँ,
मुझको अक्सर भड़काते  हैं,   ये सपने  !

जब-जब इनके डर से नींद नहीं आती है,
तब-तब दिन में आ जाते हैं,  ये सपने !

वैसे तो ये अक्सर,  झूठे  ही  होते  हैं,
कभी-कभी सच दिखलाते हैं, ये सपने !

जब-जब  मेरी हार, मुझे  तडपाती   है ,
तब-तब आकर  समझाते  हैं, ये सपने !

ये 'आनंद' गया तो , लौटे   न  लौटे ,
इसी बात से  घबराते  हैं, ये सपने ! 

--आनंद द्विवेदी ०९-०४-२०११ 

15 टिप्‍पणियां:

  1. जब-जब मेरी हार, मुझे तडपाती है ,
    तब-तब आकर समझाते हैं, ये सपने !
    सपनों में अदभुत क्षमताएं होती हैं , सपने भले कई बार टूट जाएँ , पर सपनों में ही हकीकत करने का हौसला होता है

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  2. मैंने हर खिड़की दरवाजा बंद किया था,
    जाने किस रस्ते आते हैं, ये सपने !

    सुन्दर...मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....

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  3. हे मेरे स्वप्न!
    तुम्ही तो मेरे मीत हो
    जीवन के गीत हो
    लक्ष्य के संगीत हो.
    तुम्ही ने तो दिखाया है
    मुझे उन्नति का मार्ग
    प्रशस्त किया है-जीवन की राह.

    मै भी भटकता रहता
    औरों की तरह...
    परन्तु तुमने बोध कराया है
    मुझे मेरी शक्ति का,
    मेरे अरमान का,
    मेरे संकल्प का और
    मेरे मानव होने का.

    परिभाषा और सूत्र तो
    तूने ही दिया था -
    नहीं होता कोई विकल्प
    किसी संकल्प का.
    संकल्प में ही सन्निहित है,
    असीम ऊर्जा गतिशील होने
    गतिमान करने के लिए.
    रुक जाना तो मानव की हार है,
    इस हार को धारण करना
    पहन लेना कायरता है.

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  4. जब-जब मेरी हार, मुझे तडपाती है ,
    तब-तब आकर समझाते हैं, ये सपने !

    सपनो को साकार करने की जिद हो तो सपने पीछा छोड़ते ही नहीं ......दिन हो रात हो एक ही बात दिमाग में घूमती है ....!!
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...!
    जय माता की ....!!

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  5. सपने पीछा छोड़ देंगे तो जीवन में बचेगा ही क्या . देखते रहिये सपने .

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  6. जब-जब मेरी हार, मुझे तडपाती है ,
    तब-तब आकर समझाते हैं, ये सपने !

    सपने ही हैं जो आगे बढ़ने का हौसला देते हैं ...अच्छी प्रस्तुति

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  7. ने हर खिड़की दरवाजा बंद किया था,
    जाने किस रस्ते आते हैं, ये सपने !
    -------------------------
    बहुत ही उम्दा शब्दों का इस्तेमाल किये हैं धन्यवाद |
    ----------------------------
    www.akashsingh307.blogspot.com

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  8. कैसे भी हों सपने होते हैं अपने ! एक वो भी होता है जो आता ही नहीं !! बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ।

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  9. आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,

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  10. दुर्गाष्टमी और रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  11. जब जब मेरी हार मुझे तडपाती है
    तब तब आकर समझाते हैं ये सपने
    *************************
    खूबसूरत शेर .......उम्दा ग़ज़ल

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  12. par adhiktar sapne manbhavan hote hain...aur ham uska intzaar karte hain...:)


    mere anand bhaiya...kya baat hai....:)

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  13. Hmmm.. aap toh bohot hi khubi se wyakt hote ho... bohot achhe lage aapke sapne aur unka kaam... mehnati sapne....

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  14. खुबसूरत ग़ज़ल, सपनो के साथ ....

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