दुनिया की सरकारों मुझको
चलो दाँव पर डारो मुझको
चलो दाँव पर डारो मुझको
मैं फौजी अनुशासन मे हूँ
आप जुए में हारो मुझको
आप जुए में हारो मुझको
मैं जवान हूँ , मैं किसान हूँ
मारो मारो, मारो मुझको
मारो मारो, मारो मुझको
जब भी हक़ की बात करूँ तो
चौखट से दुत्कारो मुझको
चौखट से दुत्कारो मुझको
उल्टे सीधे प्रश्न करुँ तो
चलो जेल में डारो मुझको
चलो जेल में डारो मुझको
कोई काम बनाना हो जब
धीरे से पुचकारो मुझको
धीरे से पुचकारो मुझको
मेरे हिस्से फूल कहाँ हैं
काँटों तुम्ही सँवारो मुझको
काँटों तुम्ही सँवारो मुझको
धन्नासेठों की रक्षा में
नाहक आप उतारो मुझको
नाहक आप उतारो मुझको
घर की जंग लड़ी न जाये
सरहद पर ललकारो मुझको
सरहद पर ललकारो मुझको
- आनंद
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 30 अप्रैल 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावनात्मक रचना ,हृदय को उद्वेलित कर देनेवाला सत्य
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ख़ूब !
वाह!!!!!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही .....समसामयिक....सुन्दर प्रस्तुति