तन्हा क़दम बढ़ाना आया
समझो दर्द भगाना आया
जिसने खुद ही राह बनायी
उसके साथ ज़माना आया
तुम क्यों इतनी दूर खड़े थे
जब जब ठौर ठिकाना आया
उस दिल पर क्या गुजरी होगी
जिसको धोखा खाना आया
कुछ तो ख़्वाब यार ने तोड़े
खुद कुछ भरम मिटाना आया
बरसों खुद से लड़ा मुक़दमा
तब जाकर मुस्काना आया
इक पूरे जीवन के बदले
दो पल का हर्ज़ाना आया
हमने ही ये आग चुनी है
तुमको कहाँ जलाना आया
जीवन भर का हासिल ये है
बस मन को समझाना आया
ये 'आनंद' उसी का हक़ है
जिसको भाव लगाना आया
- आनंद
समझो दर्द भगाना आया
जिसने खुद ही राह बनायी
उसके साथ ज़माना आया
तुम क्यों इतनी दूर खड़े थे
जब जब ठौर ठिकाना आया
उस दिल पर क्या गुजरी होगी
जिसको धोखा खाना आया
कुछ तो ख़्वाब यार ने तोड़े
खुद कुछ भरम मिटाना आया
बरसों खुद से लड़ा मुक़दमा
तब जाकर मुस्काना आया
इक पूरे जीवन के बदले
दो पल का हर्ज़ाना आया
हमने ही ये आग चुनी है
तुमको कहाँ जलाना आया
जीवन भर का हासिल ये है
बस मन को समझाना आया
ये 'आनंद' उसी का हक़ है
जिसको भाव लगाना आया
- आनंद
बहुत सुन्दर
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