दामन-ए-दर्द को चोटों से बचाते चलिए
और लग जाएँ, तो सीने से लगाते चलिए
वो अगर आपका होता तो आपका होता
गैर तो गैर हैं, नुकसान बचाते चलिए
भूलना ख़ास नियामत ख़ुदा ने बक्सी है
ज़िंदगी भूल-भुलैय्या है भुलाते चलिए
आजकल देवता होते नहीं गुनाहों के
हर गुनहगार को सूली पे चढ़ाते चलिए
ज़िंदगी वक़्त की मुख़बिर है, भली लाख बने
इसकी नज़रों से कई ख़्वाब छुपाते चलिए
पाप और पुण्य के झगड़े में सिफ़र हासिल है
अपने आनंद को पचड़े से बचाते चलिए
- आनंद
और लग जाएँ, तो सीने से लगाते चलिए
वो अगर आपका होता तो आपका होता
गैर तो गैर हैं, नुकसान बचाते चलिए
भूलना ख़ास नियामत ख़ुदा ने बक्सी है
ज़िंदगी भूल-भुलैय्या है भुलाते चलिए
आजकल देवता होते नहीं गुनाहों के
हर गुनहगार को सूली पे चढ़ाते चलिए
ज़िंदगी वक़्त की मुख़बिर है, भली लाख बने
इसकी नज़रों से कई ख़्वाब छुपाते चलिए
पाप और पुण्य के झगड़े में सिफ़र हासिल है
अपने आनंद को पचड़े से बचाते चलिए
- आनंद
बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल ... बहुत मज़ा आया आनंद जी ...
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