छानी-छप्पर फूस- मड़ैया बाकी हैं
कहीं कहीं पर ताल तलैया बाकी हैं
भाई, मेरे गाँव गली में अब भी कुछ
बिरहा, कजरी, फाग गवैया बाकी हैं
कुछ तो बड़े मतलबी चतुर सयाने हैं
उनमें भी कुछ नेह निभैया बाकी हैं
टूट रहे विश्वासों की इस धरती पर
मरे जिए कुछ काँध देवैया बाकी हैं
कभी कभी सर पर छत जैसे लगते हैं
काकी-काका, भौजी- भैया बाकी हैं
- आनंद
कहीं कहीं पर ताल तलैया बाकी हैं
भाई, मेरे गाँव गली में अब भी कुछ
बिरहा, कजरी, फाग गवैया बाकी हैं
कुछ तो बड़े मतलबी चतुर सयाने हैं
उनमें भी कुछ नेह निभैया बाकी हैं
टूट रहे विश्वासों की इस धरती पर
मरे जिए कुछ काँध देवैया बाकी हैं
कभी कभी सर पर छत जैसे लगते हैं
काकी-काका, भौजी- भैया बाकी हैं
- आनंद
वाह!
जवाब देंहटाएंआखें नम हो गयीं...!
... बहुत बढ़िया ... ... !
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