इतना भी नहीं टूट गया हूँ, यक़ीन रख
जब दे रहा है दर्द तो उसमें कमी न रख
मैं जिस्म के कर्ज़े उतारता चलूँ, ठहर
बेसब्र है तो रूह की गिरवी ज़मीन रख
कर दे मेरे नसीब में गुमनाम रास्ते
अपने सफ़र के वास्ते, राहें हसीन रख
अब वक़्त जा रहा है दुआएँ क़ुबूल कर
कुछ देर मुल्तवी तू मेरी छानबीन रख
'आनंद' कहीं राह में ठोकर भी खायेगा
जब भी गिरेगा उठके चलेगा यक़ीन रख
- आनंद
जब दे रहा है दर्द तो उसमें कमी न रख
मैं जिस्म के कर्ज़े उतारता चलूँ, ठहर
बेसब्र है तो रूह की गिरवी ज़मीन रख
कर दे मेरे नसीब में गुमनाम रास्ते
अपने सफ़र के वास्ते, राहें हसीन रख
अब वक़्त जा रहा है दुआएँ क़ुबूल कर
कुछ देर मुल्तवी तू मेरी छानबीन रख
'आनंद' कहीं राह में ठोकर भी खायेगा
जब भी गिरेगा उठके चलेगा यक़ीन रख
- आनंद
अति सुन्दर अभिव्यक्ति! साभार! आदरणीय आनंद जी!
जवाब देंहटाएंधरती की गोद