वो खो गया
ठीक उसी समय
जब वो मिल रहा था
वो खो गया
ठीक वैसे ही
ठीक उसी समय
जब वो मिल रहा था
वो खो गया
ठीक वैसे ही
जैसे खो जाता है
ग़ज़ल का कोई मिसरा
ग़ज़ल का कोई मिसरा
समय से कागज़ पर न उतरा तो
कागज़ पर कहाँ उतर पाती हैं
जीवन की हर ख्वाहिशें,
मैं भूल जाऊंगा उसका खो जाना
शायद उसे भी,
कागज़ पर कहाँ उतर पाती हैं
जीवन की हर ख्वाहिशें,
मैं भूल जाऊंगा उसका खो जाना
शायद उसे भी,
किन्तु याद रहेगा युगों तक
उसका मुझमें उतरना
जैसे गिरती है बिजली
किसी दुधारू पेड़ पर !
- आनंद
उसका मुझमें उतरना
जैसे गिरती है बिजली
किसी दुधारू पेड़ पर !
- आनंद
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन देश-सेवा ही ईश्वर-सेवा है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
खो गया जो लगता है वह कभी खोता नहीं...मिल गया जो लगता है वह कभी होता नहीं
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसलाम। बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आया हूं। व्यस्तताओं और उलझनों में फंसा मन आपकीकविता में इस कदर उलझ गया कि खुद को भूल गया। बहुत ही अच्छी कविता। बधाई।
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