मैं विदा नहीं करता किसी को भी
चले जाते हैं सब के सब
अपने आप ही,
अपने स्वयं के जाने तक
मुझे देखना है बस सबका
आना और आकर चला जाना
इस उम्मीद में हूँ कि
शायद कोई ठहरे
पूछे
कि कैसे हो,
कोई कहे
कि आओ साथ चलें,
मगर एक इंतजार के सिवा
कोई ठिठकता भी नहीं अब पास
इंतजार कुछ कहता नहीं
मैं भी कुछ पूछता नहीं,
हम दोनों हैं
मौन,
एक दूसरे से ऊबे हुए
एक दूसरे के साथ को अभिशप्त !
- आनंद
चले जाते हैं सब के सब
अपने आप ही,
अपने स्वयं के जाने तक
मुझे देखना है बस सबका
आना और आकर चला जाना
इस उम्मीद में हूँ कि
शायद कोई ठहरे
पूछे
कि कैसे हो,
कोई कहे
कि आओ साथ चलें,
मगर एक इंतजार के सिवा
कोई ठिठकता भी नहीं अब पास
इंतजार कुछ कहता नहीं
मैं भी कुछ पूछता नहीं,
हम दोनों हैं
मौन,
एक दूसरे से ऊबे हुए
एक दूसरे के साथ को अभिशप्त !
- आनंद
"चले जाते हैं सब के सब
जवाब देंहटाएंअपने आप ही"...
कष्टकर ही सही... सत्य तो यही है...
आपकी लेखनी ने जैसे मेरे ही मन के भाव को लिख दिया हो...
सच, कोई नहीं ठहरता... कोई नहीं पूछता... कैसे हो?
***
आनंद भैया,
प्रणाम!
यूँ ही भावों को विस्तार देते हुए आपकी प्रतिभाशाली कलम चलती रहे...!
अनंत शुभकामनाएं...
-अनुपमा
Sundar prastuti,har chij badlti h,wqt ke sath
जवाब देंहटाएंइंतजार अभी उबाता है उस दिन का करें इंतजार जब वह लुभाएगा...
जवाब देंहटाएंजाने वाले को आज तक कौन रोक पाया है
जवाब देंहटाएंबहुत अर्थपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंsukriya mitron
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