मैंने देखा किसी तस्वीर में
तुमने पहनी है वही साड़ी जिसे हमने खरीदा था साथ-साथ
उस दिन तुमने जानबूझकर
सस्ती साड़ी खरीदी थी न ?
तुम्हारी तस्वीरें रुलाती हैं बहुत
जब भी बातें करता हूँ उनसे
तुमने पहनी है वही साड़ी जिसे हमने खरीदा था साथ-साथ
उस दिन तुमने जानबूझकर
सस्ती साड़ी खरीदी थी न ?
तुम्हारी तस्वीरें रुलाती हैं बहुत
जब भी बातें करता हूँ उनसे
यादें उससे भी ज्यादा
बहुत रोकता हूँ खुद को
मगर अक्सर
इकतरफ़ा बातचीत में
पूछ ही लेता हूँ कि
क्या तुम्हे भी कभी
मेरी याद आती है ?
और तभी उतारता हूँ आँखों पर से चश्मा
निकलता हूँ जेब से रुमाल
और हँस पड़ता हूँ याद करके
तुम्हारा दिया हुआ नाम 'रुअक्कड़'
तुम्हें रोना पसंद नहीं
बहुत रोकता हूँ खुद को
मगर अक्सर
इकतरफ़ा बातचीत में
पूछ ही लेता हूँ कि
क्या तुम्हे भी कभी
मेरी याद आती है ?
और तभी उतारता हूँ आँखों पर से चश्मा
निकलता हूँ जेब से रुमाल
और हँस पड़ता हूँ याद करके
तुम्हारा दिया हुआ नाम 'रुअक्कड़'
तुम्हें रोना पसंद नहीं
मैं कुछ भी तो तुम्हारी पसंद का नहीं कर पाता
यकीन करो मैं हँसता हूँ
यकीन करो मैं हँसता हूँ
कभी कभी
जब मैं बहुत बेबस होता हूँ तब !
- आनंद
जब मैं बहुत बेबस होता हूँ तब !
- आनंद
यादों में घूमती एक बहुत सुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंwaaaah waaah bhot khub waaaah
जवाब देंहटाएंबेहद भावनापूर्ण रचना
जवाब देंहटाएं-अभिजित (Reflections)
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (06-05-2013) के एक ही गुज़ारिश :चर्चा मंच 1236 पर अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें ,आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ
प्यार का दर्द है ...कुछ अजीब सा
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आप सभी का !
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