शोर क्यों हम बेवफ़ाई का मचाएं दोस्तों
क्यों नहीं हम भी नया इक गुल खिलाएं दोस्तों
आजकल तो ख्वाब भी बिकने लगे बाज़ार में
आइये खेती करें सपने उगायें दोस्तों
क्या हुआ है वो कहीं बरसात में भीगे हैं क्या
छू रही हैं जिस्म को महकी हवाएँ दोस्तों
इश्क़ भी करना निभाना भी वफ़ा भी हाय रे
एक उस मासूम पर कितनी बलाएँ दोस्तों
अब खुदा से भी बहुत उम्मीद करना व्यर्थ है
काम न आईं अगर 'उसकी' दुआएँ दोस्तों
क्यों नहीं हम भी नया इक गुल खिलाएं दोस्तों
आजकल तो ख्वाब भी बिकने लगे बाज़ार में
आइये खेती करें सपने उगायें दोस्तों
क्या हुआ है वो कहीं बरसात में भीगे हैं क्या
छू रही हैं जिस्म को महकी हवाएँ दोस्तों
इश्क़ भी करना निभाना भी वफ़ा भी हाय रे
एक उस मासूम पर कितनी बलाएँ दोस्तों
अब खुदा से भी बहुत उम्मीद करना व्यर्थ है
काम न आईं अगर 'उसकी' दुआएँ दोस्तों
सारे क़ातिल फ़ातिहा पढ़ने इकठ्ठा हो गए
फ़ैसला दुश्वार है, किसको बुलायें दोस्तों
मुझको कितनी दिक्कतों में डालकर जाती हैं ये
उनकी यादों से कहो अक्सर न आयें दोस्तों
बेरुखी उनकी, हमारी बेबसी बे-इंतहाँ
हैं, मेरे 'आनंद' होने की सजायें दोस्तों
- आनंद
मुझको कितनी दिक्कतों में डालकर जाती हैं ये
उनकी यादों से कहो अक्सर न आयें दोस्तों
बेरुखी उनकी, हमारी बेबसी बे-इंतहाँ
हैं, मेरे 'आनंद' होने की सजायें दोस्तों
- आनंद
वाह....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ग़ज़ल....
सारे कातिल फ़ातिहा पढने इकठ्ठा हो गये...
अजब दुश्वारी है....
अनु
उनकी यादों से कहो न अक्सर आयें दोस्तों
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
बहुत बढ़िया ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंLATEST POSTसपना और तुम
bewafaai unhone ki isme hamara kya kasoor
जवाब देंहटाएंab to nayi wafa ka intezaar hai.....
shayad pyaar ab isi ka naam h....