सोमवार, 12 नवंबर 2012

अभी बहुत दूर है वो दीपावली



जब तक इन घरों में  उजाला नहीं होता
क्या मतलब है मेरे घर में हो रही जगमग का
मैं मान लेता यह बात कि सबका नसीब होता है उसके साथ
यदि
हमने ईमानदारी से इन्हें मौका दिया होता
प्रकृति से आयी निर्बाध रश्मियों को इन तक निर्बाध ही जाने दिया होता
हम मनुष्यों ने किया है मनुष्यों के खिलाफ षड़यंत्र
दोषी हैं हम इनके जीवन के अंधेरों के लिये
और चालाकी की हद तो यह है कि हम आज भी यह बात मानने  को राजी नहीं ....
बुधुआ, कलुआ, रमुआ अभी भी महेसवा ..और न जाने कितने 'आ'
अभी बहुत दूर है वो दीपावली जिसे तुम उमंग से मनाओगे
शायद  मैं तब तक नहीं रहूँगा
काश मैं उस दीपावली का हिस्सा होता
मैं एक बार तुम सबके साथ
छुरछुरिया जलाते हुए नाचना चाहता हूँ
मगर मेरी दिक्कत है कि मैं ढोंग नहीं कर सकता
और इसीलिये शंका में हूँ कि मेरे जीवन में
वैसी दीपावली
शायद ही आये !

- आनंद

9 टिप्‍पणियां:

  1. दीप पर्व की आपको व आपके परिवार को ढेरों शुभकामनायें

    मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ

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  2. कविता की हर बात सच है ....पर ऐसा कभी होगा ..पता नहीं :(((


    दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ

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  3. काश ऐसी दीवाली आए... मंगलमय हो दीपों का त्यौहार... आपको व आपके समस्त परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें......

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  4. जन जागरूकता निहायत जरूरी है

    नही ला पाते यदि

    भूखमरी, मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचारी

    में जीना इंसान की मजबूरी है

    बरसों से जी रहे, इनकी छाँव में

    पहले तो दीखता यदा कदा

    पहुँच गया है अब गाँव गाँव में

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  5. स्वीकारें इस ब्लॉगर का सन्देश

    हरे माँ लक्ष्मी हर का क्लेश

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ...

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  6. आप सभी मित्रों का हार्दिक आभार और साथ आपको ही भी दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें !

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