(एक)
आज उसने
मुझे एक कविता भेजी
एक याद
और साथ में
थोड़ी सी ख़ामोशी
उसका कहना है
कि वो
मुझे प्यार नहीं करती !
(दो)
जान लेने से पहले
तुमने
हर अहतियात बरता
कि
मुझे कम से कम दर्द हो
और
अंतिम वार से पहले तो तुमने
प्यार भी किया
शुक्रिया !
(तीन)
काश ..
एक वादा ही किया होता हमने
काश ..
कुछ तो होता हमारे दरम्यान !!
टूटने के लिए भी
कुछ तो होता
सदायें
टूटती कहाँ है
वो तो
बस या होती हैं
या
नहीं होती
एकदम मेरे वजूद कि तरह !!
(चार)
इंतज़ार है कब पाबंदी लगाओगे
इन यादों पर |
तुम
सब कुछ कर सकते हो
बस मेरी सांसें ही बगावत कर जाती हैं
जरा ठहर जाएँ
तो इनका क्या बिगड़ जाएगा !!
(पाँच)
अब और कितना दूर जाओगे
मेरी आवाज़ की भी एक सीमा है
पीछे मुड़कर देखो तो
मेरे लिए नहीं
तुम्हारी अकड़ी गरदन को आराम मिलेगा !
(छः)
जब आप सप्तऋषियों के बगल में होंगे
और ध्रुव तारे की तरह
चमक रहें होंगे
उस अँधेरी रात में
यहाँ धरती से मैं ऊँगली उठाकर
सबको बताऊंगा
देखो.... वो रहे तुम !
(सात)
तुम्हारे बाद
अब कोई ठहरता नहीं मेरे पास
मेरे शरीर से
तुम्हारी आत्मा की
गंध आती है |
(आठ)
अपनी दुनिया में मैं अकेला
अपने आसमान में चाँद
वो निहायत खुबसूरत
और मैं ...
निहायत किस्मत वाला
आज पूनम है
ज्वार केवल समन्दरों में ही नहीं आते
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- आनंद द्विवेदी
20-07-2012
वाह...वाह....वाह............
जवाब देंहटाएंजाने किन शब्दों में तारीफ़ करूँ ...
बेहतरीन रचना......संग्रहनीय...जिसको बार बार पढ़ने को जी चाहेगा....
पहली,दूसरी और आखरी तो लाजवाब....
अनु
नश्तर की तरह ही चुभा है, एक-२ अशआर... कलात्मक अभिव्यक्ति... :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचनाये
जवाब देंहटाएंसभी लाजवाब है...
:-)
देखन में छोटे लगे पर घाव करे गंभीर ...सुन्दर रचनाएं..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन क्षणिकाएं ...
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ...??
जवाब देंहटाएंवाकई में चुभन महसूस हो रही है....!!
शब्दों का जादू हर क्षणिका पर है ... उत्कृष्ट लेखन के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंशीर्षक के अनुरूप नश्तर सा असर रखते हैं आपके शब्द, जितनी तारीफ की जाये कम है... बहुत - बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्रों का हार्दिक आभार !
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