मुस्किल से, जरा देर को सोती हैं लड़कियां
जब भी किसी के प्यार में होती हैं लड़कियां
'पापा' को कोई रंज न हो, बस ये सोंचकर,
अपनी हयात ग़म में डुबोती हैं लड़कियां
फूलों की तरह खुशबू बिखेरें सुबह से शाम
किस्मत भी गुलों सी लिए होती हैं लड़कियां
'उनमें'...किसी मशीन में, इतना ही फर्क है
सूने में बड़े जोर से, रोती हैं लड़कियां
टुकड़ों में बांटकर कभी, खुद को निहारिये
फिर कहिये, किसी की नही होती हैं लड़कियां
फूलों का हार हो, कभी बाँहों का हार हो
धागे की जगह खुद को पिरोती हैं लड़कियां
'आनंद' अगर अपने तजुर्बे कि कहे तो
फौलाद हैं, फौलाद ही होती हैं लड़कियां
-आनंद द्विवेदी
२९ अप्रेल २०१२
ऐसी ही होती हैं प्यारी लड़कियां.. आपने उन्हें फूल भी कहा और फौलाद भी.. उनका व्यक्तित्व इतना ही विस्तृत होता है।
जवाब देंहटाएंWah antim panktiyan mein to puri kavita ko aur prabhavshali bana diya...bahut khub
जवाब देंहटाएंसही परखा है लड़कियों को..
जवाब देंहटाएं'उनमें'...किसी मशीन में, इतना ही फर्क है,
सूने में बड़े जोर से, रोती हैं लड़कियां |
जबर्दस्त्त.
Kya gazab likha hai aapne!
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंhats off to you.....!
जवाब देंहटाएंसच में यह लडकियां .....हर एक अहसास को बखूबी शब्दों में बांधा है आपने ..!
जवाब देंहटाएंवाह ! फौलाद सी इन लड़कियों को सलाम !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव संयोजन से सजी बेहद उम्दा पोस्ट आभार ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंलड़की बिना सूना घर आँगन ,
जवाब देंहटाएंसूना ये संसार हैं,
हो अवगुण तो बुरी लागे ,
पर हैं गुणों की खान ये ||....अनु
लड़कियों का अपना महत्त्व है आपने बहुत गहन अध्यन किया है लड़कियों के स्वभाव का |बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआशा
आप सभी मित्रों का हार्दिक आभार !
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