कभी कभी
सारा अध्यन ...सारी शिक्षा,
हर किताब
हर सीख ....और
तुम्हारी समझायी हर बात पर
भारी पड़ जाता है मेरा दर्द,
तुम्हारी समझायी हर बात पर
भारी पड़ जाता है मेरा दर्द,
और ऐसे क्षणों में फिर मैं
कर बैठता हूँ .....
तुमको एक 'एस एम एस'
जिसमे लिखा होता है केवल एक नाम
तुमको एक 'एस एम एस'
जिसमे लिखा होता है केवल एक नाम
और कुछ डॉट्स. . . बस !
अच्छे से जानता हूँ कि
तुम्हारे निजी संसार में
मेरा इस तरह
रह रह कर जिन्दा होना
तुम्हें जरा भी पसंद नही
पर क्या करूं ?
मैं ये भी तो अच्छी तरह से जानता हूँ ...कि
तुम्हारे निजी संसार में
मेरा इस तरह
रह रह कर जिन्दा होना
तुम्हें जरा भी पसंद नही
पर क्या करूं ?
मैं ये भी तो अच्छी तरह से जानता हूँ ...कि
सारी दुनिया में केवल
एक तुम्हें ही
उन डॉट्स . . . की भाषा पढ़नी आती है !
"मैं आज भी वहीँ हूँ "
मेरे लिए यह कथन ...
न पूरा सच है न पूरा झूठ
धरती का गुरुत्वाकर्षण
एक तुम्हें ही
उन डॉट्स . . . की भाषा पढ़नी आती है !
"मैं आज भी वहीँ हूँ "
मेरे लिए यह कथन ...
न पूरा सच है न पूरा झूठ
धरती का गुरुत्वाकर्षण
कुछ तो कमजोर पड़ा है
अब वह सिमटकर
केवल उतना भर रह गया है
जितनी कि तुम स्वयं
और जिस किसी भी दिन
तुम नही रहोगी ........
मैं झट से
अब वह सिमटकर
केवल उतना भर रह गया है
जितनी कि तुम स्वयं
और जिस किसी भी दिन
तुम नही रहोगी ........
मैं झट से
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर चला जाऊंगा
पर
पर
एक बात बोलूं
मेरी जरा भी दिलचस्पी
मेरी जरा भी दिलचस्पी
न तो निराकार में है
और न मोक्ष में
मैं तो सृष्टि के अंत तक चलता रहना चाहता हूँ
एक तुम्हारी सुगंध भर लिए हुए
जिससे सुवासित है
मेरी आत्मा ....
मैं तो सृष्टि के अंत तक चलता रहना चाहता हूँ
एक तुम्हारी सुगंध भर लिए हुए
जिससे सुवासित है
मेरी आत्मा ....
और
मेरे आने वाले अनेक जन्म !!
आनंद
०६-०४-२०१२
आनंद
०६-०४-२०१२
.........
जवाब देंहटाएं..........
.............
................
....................
Waah bahut sunder rachna.
जवाब देंहटाएंएक तुम्हें ही
जवाब देंहटाएंउन डॉट्स . . . की भाषा पढ़नी आती है !
अब इसके आगे कौन से शब्द गढूँ ………तुम ही तो शब्द हो मेरे और उनके अर्थ भी और ……भी
बहुत गहन और अंतस की पीड़ा कहती हुई ...सशक्त रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
मैं ये भी तो अच्छी तरह से जानता हूँ ...कि
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया में केवल
एक तुम्हें ही
उन डॉट्स . . . की भाषा पढ़नी आती है !
...बहुत खूब !
वाह!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंहीर जी की टिप्पणी चुराने का दिल कर रहा है.............
सुन्दर!!!!
भावमयी रचना .....
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब भावमय करती पंक्तियां
जवाब देंहटाएंये दिल हैं कि मानता ही नहीं ...हर बार... बार बार ये ...................डोट्स छोड़ देता है एक नई उलझन के लिए
जवाब देंहटाएंमैं तो सृष्टि के अंत तक चलता रहना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंएक तुम्हारी सुगंध भर लिए हुए
जिससे सुवासित है
मेरी आत्मा ....
और
मेरे आने वाले अनेक जन्म !!
कमाल की अभिव्यक्ति, सिर्फ एक ही शब्द कहना चाहूँगा - ‘वाह!’
अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.
जवाब देंहटाएंकल 09/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
Anand bhai,
जवाब देंहटाएंi m haapy here... without dots...
one thing is clear for all... that a stright line are set of dots...
........ itis stright lines..
a basket of thanks.... for inner stiring poem ,.
your brother
BABAN PANDEY
PATNA
099739-27974
कुछ रचनाएँ ऐसी होतीं हैं कि उनके बारे में लिखने के लिए शब्द ही नहीं मिलते |
जवाब देंहटाएंआशा
सच पूछिए द्विवेदीजी तो मेरी भी प्रतिक्रिया ....हर्किरथजी से बहुत मेल खाती है.....निःशब्द हूँ .....सच में आज डोट्स की ताक़त को पहचाना ...!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना आपकी आनंद जी, दिल को छूती हुई
जवाब देंहटाएं"मैं आज भी वहीँ हूँ "
जवाब देंहटाएंमेरे लिए यह कथन ...
न पूरा सच है न पूरा झूठ
धरती का गुरुत्वाकर्षण
कुछ तो कमजोर पड़ा है
अब वह सिमटकर
केवल उतना भर रह गया है
जितनी कि तुम स्वयं
और जिस किसी भी दिन
तुम नही रहोगी ........
Waah bahut hi sundar likha hai anand ji... Dots ki bhasha humen to nahi aati... :)