तुम गुजरते हो जिन राहों से
जल उठते हैं दीप
स्वतः ही ,
मुरझाये पौधों में भी
चहक उठता है
जीवन ..
हवाओं की
सरसराहट में भी
गूँज उठता है
एक अनोखा
संगीत ,
देखो न !!!
कैसे
सारी प्रकृति
तुम्हारे बहाने से
जाहिर करती है
खुशियाँ
अपनी !
महसूस करके
तुम्हे
जड़ भी
चेतन हो जाए..
छूने से तुम्हारे
इंसान भी
देवता हो जाए...
एक नजर
प्यार से देख लो तुम
तो
मरुस्थल में भी
बसंत खिल जाए..
तुम्हे
पाने वाला
पूरी दुनिया का
अभीष्ट बन जाए !
किसी ने
देखा नहीं
भगवान को,
सुना ही था कि
'प्रेम में ही भगवान मिलते है '
आज पहली बार
ऐसा लग रहा है
कि
कहने वाले
सच ही कहते हैं !!
आनंद द्विवेदी २५/१०/२०११
बहुत ही बढि़या
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति......!
महसूस करके
जवाब देंहटाएंतुम्हें
जड़ भी
चेतन हो जाए..
********************
प्यार से देख लो तुम
तो
मरुस्थल में भी
बसंत खिल जाए..
******************
देखो न !!!
कैसे
सारी प्रकृति
तुम्हारे बहाने से
जाहिर करती है
खुशियाँ !!
excellent...!!
but sorry...
आपकी कविता से अपने अनुसार छेड़-छाड़ करने के लिए.!
लेकिन इतनी सुन्दर पंक्तियाँ हैं कि कई बार पढ़ गयी..
भाव हैं कि साथ ही नहीं छोड़ते हैं...
क्योंकि..
"प्रेम में ही भगवान् मिलते हैं...!!"
***punam***
जवाब देंहटाएंbas yun...hi..
पूनम जी ...वाह क्या निखार आगया है कविता में जरा से शब्दों को संजो देने से बहुत बहुत शुक्रिया आपका !
जवाब देंहटाएंअब तुम कहो - तुम प्रेम हो या ईश्वर
जवाब देंहटाएंमैं अपनी दीदी का बच्चा हूँ बस और कुछ भी नहीं !
जवाब देंहटाएंबहुत रूमानी कविता...
जवाब देंहटाएंसही कहा'प्रेम में ही भगवान मिलते है 'सुन्दर सटीक रचना..
जवाब देंहटाएंएकदम फूल खिले हैं गुलशन गुलशन ...सुन्दर रूमानी रचना.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आनंद....
जवाब देंहटाएंमेरी कारगुजारी पर भी आपका शुक्रिया....??
धन्यवाद......एक बार फिर..!!
***punam***
tumhare liye...
bas yun..hi...
कविता की हर पंक्ति ..प्रेम में डूबी हुई ...प्रेम पूजा ...प्रेम को ईश्वर का स्वरूप दिया है आपने .....बहुत खूब
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