राज छुपाये दुनिया भर के, खाक जहाँ की छान रहे
कितने ज्ञानी मिले राह में, हम फिर भी नादान रहे
सारे जीवन भर के शिकवे, अपने साथ ले गये वो
मेरे घर भी ख्वाब सुहाने, दो दिन के मेहमान रहे
आखिर उनका भी तो दिल है, दिल के कुछ रिश्ते होंगे
क्यों ये बात न समझी हमने, बे मतलब हलकान रहे
अपने से ही सारी दुनिया, बनती और बिगड़ती है
जिस ढंग की मेरी श्रद्धा थी, वैसे ही भगवान रहे
तू है प्राण और मैं काया, तू लौ है मैं बाती हूँ
ये रिश्ते बेमेल नही थे, भले न एक समान रहे
जाते जाते साथी तूने, इतना कुछ दे डाला है
साथ न रहकर भी सदियों तक, तू मेरी पहचान रहे
दुआ करो 'आनन्द' सीख ले, तौर तरीके जीने के
फिर चाहे तेरी महफ़िल हो, या दुनिया वीरान रहे
-आनन्द द्विवेदी, ०२/१०/२०११
दुआ करो 'आनन्द' सीख ले, तौर तरीके जीने के ,
जवाब देंहटाएंफिर चाहे तेरी महफ़िल हो, या दुनिया वीरान रहे |
वाह! क्या खूबसूरत गजल कही है आपने !. ..........
मकता तो बहुत ही खूबसूरत है!
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें ।
Nihayat khoobsoorat gazal!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गजल... बहुत-बहुत बधाई..
जवाब देंहटाएं'अभिव्यंजना ' में आप की प्रतीक्षा है..
जाते जाते साथी तूने, इतना कुछ दे डाला है ,
जवाब देंहटाएंसाथ न रहकर भी सदियों तक, तू मेरी पहचान रहे |
ये दुआएं ही महत्व रखती है , क्या फर्क पड़ता है किसने याद किया , नहीं किया !
अच्छी ग़ज़ल!
अपने से ही सारी दुनिया, बनती और बिगड़ती है ,
जवाब देंहटाएंजिस ढंग की मेरी श्रद्धा थी, वैसे ही भगवान रहे |
तू है प्राण और मैं काया, तू लौ है मैं बाती हूँ ,
ये रिश्ते बेमेल नही थे, भले न एक समान रहे |
बहुत ही बढि़या ।
"आखिर उनका भी तो दिल है, दिल के कुछ रिश्ते होंगे,
जवाब देंहटाएंक्यों ये बात न समझी हमने, बे मतलब हलकान रहे |"
"जाते जाते साथी तूने, इतना कुछ दे डाला है ,
साथ न रहकर भी सदियों तक, तू मेरी पहचान रहे |"
"कौन कहाँ कब
क्या दे जाता है ?
ये तो
उसके जाने के बाद
पता चलता है !!
कुछ रिश्ते
होते ही हैं अनाम..
शायद ये हम
बड़ी देर के बाद
जान पाते हैं...!!"
आपके शेरों की खूबसूरती...
"अपने से ही सारी दुनिया, बनती और बिगड़ती है,
जिस ढंग की मेरी श्रद्धा थी, वैसे ही भगवान रहे |"
भगवान् तो सबके बहुत ही
persanal होते है,
भले ही वो कृष्ण हों या राम,
शिव हों या हनुमान...
सबका अपना रिश्ता होता है उनसे...
लेकिन जब दुनिया बनती है तो इंसान श्रेय ले लेता है
और जब बिगड़ती है तो दूसरे के सिर क्यूँ मढ़ देता है...!
(उस समय बेचारे हमारे ये भगवान् भी बच नहीं पाते हमसे!)
क्यूँ....???
***punam***
"bas yun...hi.."
आखिर उनका भी तो दिल है, दिल के कुछ रिश्ते होंगे,
जवाब देंहटाएंक्यों ये बात न समझी हमने, बे मतलब हलकान रहे ..
वाह इन शेरों की खूबसूरती देखते ही बनती है ... कितना कमाल का लिखा है ..
बढ़िया ग़ज़ल .हर शेर उम्दा.. खास तौर पर यह शेर मन के करीब लगा....
जवाब देंहटाएं"आखिर उनका भी तो दिल है, दिल के कुछ रिश्ते होंगे,
क्यों ये बात न समझी हमने, बे मतलब हलकान रहे .."
अपने से ही सारी दुनिया, बनती और बिगड़ती है ,
जवाब देंहटाएंजिस ढंग की मेरी श्रद्धा थी, वैसे ही भगवान रहे |
वाह!