दिये का जलना
अभिमान नहीं है
(अँधेरा भगाने का )
बड़प्पन नहीं है
(प्रकाश फैलाने का)
दर्द भी नहीं है
(पीड़ा से जलने का )
यह एक सहज क्रिया है
जिसमें शामिल है तीन
एक आग जो जलाती है
एक बाती जो जलती है
एक माध्यम जो बहता है
दोनों के बीच
तुम आग हो
प्रेम माध्यम है
और मैं बाती
जलना सुखद है
दिये का मतलब ही है जलना
उसकी पहचान है यह
दिया बुझता कहाँ है
बुझती है आग
तुम न होते
तो ये सुख
नहीं होता मेरे नसीब में
एक बुझे दिये की पीड़ा से बचाकर
मुझे जलाये रखने के लिए
दिल से शुक्रिया मेरे मीत !
- आनंद
!! प्रकाश का विस्तार हृदय आँगन छा गया !!
जवाब देंहटाएं!! उत्साह उल्लास का पर्व देखो आ गया !!
दीपोत्सव की शुभकामनायें !!
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : दीप एक : रंग अनेक
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (02-11-2013) "दीवाली के दीप जले" चर्चामंच : चर्चा अंक - 1417” पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
उम्दा प्रस्तुति ,दीपोत्सव कि मंगलकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति………
जवाब देंहटाएंकाश
जला पाती एक दीप ऐसा
जो सबका विवेक हो जाता रौशन
और
सार्थकता पा जाता दीपोत्सव
दीपपर्व सभी के लिये मंगलमय हो ……
बहुत ही सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंदीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएँ
:-)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपको और आपके पूरे परिवार को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
स्वस्थ रहो।
प्रसन्न रहो हमेशा।
बेहतरीन प्रस्तुति। पहले मैने सोचा निरे साइंस को कहने के लिये कविता, पर अंत तक आते आते भावों का एक सुंदर मुकुट पाया।
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