खुशियों अबकी घर आना तो साथ बहाने मत लाना
थोड़ा सा मरहम ले आना, जख़्म पुराने मत लाना
चश्मा, चप्पल, फ़ोन, चार्जर और दवाई रख लेना
सिगरेट की डिब्बी ले आना, मीठे दाने मत लाना
मेमोरी में भरवा लेना गीत पुराने 'सत्तर' के
'गिरिजा' की ठुमरी ले आना, ताजे गाने मत लाना
बिना सूद के मिल जाएं तो थोड़े पैसे ले आना
अपना मिले उसी से लेना, सबके ताने मत लाना
साँझ भये छत पर टहलेंगे, बात करेंगे, रोयेंगे
अबकी बार ठहर कर जाना, पाँव फिराने मत आना
साथ न लेकर आना कोई झंझट इश्क़ मुहब्बत का
कड़वा सच ले आना लेकिन ख़्वाब सुहाने मत लाना
मत कोई उम्मीदें लाना उनसे दिक्कत बढ़ती है
सब 'आनंद' लुटा जाना अब नए फ़साने मत लाना ।
© आनंद
वाह बहतरीन
जवाब देंहटाएंकड़वा सच सहने की हिम्मत हो तो इंसान सब कुछ सह सकता है
जवाब देंहटाएंसच उन खुशियों का क्या करना जो लम्हों के बाद ही काफूर हो जाय
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
चश्मा, चप्पल, फ़ोन, चार्जर और दवाई रख लेना
जवाब देंहटाएंसिगरेट की डिब्बी ले आना, मीठे दाने मत लाना
यानी सिगरेट अभी भी नही छूटेगी ।। यूँ ग़ज़ल गज़ब की लिखी है । काश खुशियाँ सुन लें आपकी बात ।
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या बात है!!! सच की तस्वीर, वह भी इतनी मनोरम!
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