एक और पल
तुम कहते थे ना
जी लो
इन पलों को
ये चले गए तो
लौटकर नहीं आयेंगे....
अहं में डूबा हुआ
मैं
नहीं समझा पाया
तब
तुम्हारी बात |
सुनो !
क्या तुम्हारे पास
एक और पल है ?
वैसा ही !
कुछ भी नही है
कल तक
मेरे पास
समय नही था
किसी काम के लिए
आज
मेरे पास
कोई काम नही है
करने को |
बस एक
तू ही तो नही है
मगर
ऐसा क्यों लगता है कि
कुछ भी नही है
दुनिया में
मेरे लिए
अब !!
आनंद द्विवेदी ०७/११/२०११
तभी ... समय रहते समय का मान रखो
जवाब देंहटाएंजिस वक्त जो मिले....उस क्षण ...उसे भरपूर जिया जाए...तो,इस काश.........वाली स्थिति से बचा जा सकता है .
जवाब देंहटाएंएक और पल .. बहुत बहुत अच्छे ....
जवाब देंहटाएंएक गीत याद आ गया
आने वाला पल जाने वाला है..हो सके तो इसमें जिंदगी बिता दो पल जो ये जाने वाला है.
बहुत ही अच्छी लगी ये कविता.
Jab beet jata h tab yaad aata h.. wo ek pal...
जवाब देंहटाएंसमय के साथ सब बदल जाता है .... दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर हैं
जवाब देंहटाएंचुप सा वही एक पल उतर आया..
जवाब देंहटाएंहाले दिल हमारा जाने न...!
जवाब देंहटाएंदोनों ही रचनाएं ख़ूबसूरती के साथ अपना
हाले दिल बयां करती हैं....!!
समय के साथ समय रहते ही समय को जिया जा सकता है.....!!
वाह ...बहुत ही बढि़या ।
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्तता में सार कह देना ही
जवाब देंहटाएंमुक्त छंद काव्य की आवशयकता है
आपकी रचनाएं
आपकी कला क्षमता को रेखांकित करती हैं
अभिवादन .
बहुत खूबसूरत पल...
जवाब देंहटाएंसुनो !
जवाब देंहटाएंक्या तुम्हारे पास
एक और पल है ?
वैसा ही !
वाह!
आनंद जी,...
जवाब देंहटाएंसमय के एक एक पल को जीना चाहिए
बीता समय बार बार नही आता,समय का
सदुपयोग करना चाहिए...सुंदर पोस्ट,..
मेरे पोस्ट में स्वागत है ,///
दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनायें...
जवाब देंहटाएंलेखनी में शब्दों की जादूगिरी ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंमैंने बस वक़्त को थामने की कोशिश भर की थी .....अनु