सोमवार, 7 नवंबर 2011

तेरे बाद ......



एक और पल

तुम कहते थे ना
जी लो
इन पलों को
ये चले गए तो
लौटकर नहीं आयेंगे....
अहं में डूबा हुआ
मैं
नहीं समझा पाया
तब
तुम्हारी बात |
सुनो !
क्या तुम्हारे पास
एक और पल है ?
वैसा ही !

कुछ भी नही है

कल तक
मेरे पास
समय नही था
किसी काम के लिए
आज
मेरे पास
कोई काम नही है
करने को |
बस एक
तू ही तो नही है
मगर
ऐसा क्यों लगता है कि
कुछ भी नही है
दुनिया में
मेरे लिए
अब !!

आनंद द्विवेदी ०७/११/२०११

15 टिप्‍पणियां:

  1. जिस वक्त जो मिले....उस क्षण ...उसे भरपूर जिया जाए...तो,इस काश.........वाली स्थिति से बचा जा सकता है .

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  2. एक और पल .. बहुत बहुत अच्छे ....
    एक गीत याद आ गया
    आने वाला पल जाने वाला है..हो सके तो इसमें जिंदगी बिता दो पल जो ये जाने वाला है.
    बहुत ही अच्छी लगी ये कविता.

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  3. समय के साथ सब बदल जाता है .... दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर हैं

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  4. हाले दिल हमारा जाने न...!
    दोनों ही रचनाएं ख़ूबसूरती के साथ अपना
    हाले दिल बयां करती हैं....!!
    समय के साथ समय रहते ही समय को जिया जा सकता है.....!!

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  5. संक्षिप्तता में सार कह देना ही
    मुक्त छंद काव्य की आवशयकता है
    आपकी रचनाएं
    आपकी कला क्षमता को रेखांकित करती हैं
    अभिवादन .

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  6. सुनो !
    क्या तुम्हारे पास
    एक और पल है ?
    वैसा ही !
    वाह!

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  7. आनंद जी,...
    समय के एक एक पल को जीना चाहिए
    बीता समय बार बार नही आता,समय का
    सदुपयोग करना चाहिए...सुंदर पोस्ट,..
    मेरे पोस्ट में स्वागत है ,///

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  8. लेखनी में शब्दों की जादूगिरी ...बहुत खूब

    मैंने बस वक़्त को थामने की कोशिश भर की थी .....अनु

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