रात में ३.४५ बजे के आसपास एक गाड़ी ब्रजमंडल से होकर गुजरती है मथुरा आने वाला है ...देह साधती है ब्रज भूमि को और मन साधता है उस सांवरे की यादों को...जिसने निमिष मात्र में ही जीवन बदल दिया, भर दिया मेरे अणु अणु को प्रकाश से .....!
राधा माधव ... माधव राधाकिसी भी नाम से बुला लो दोनों चितचोर दोनों रसिया क्यों की दोनों दो नहीं एक ही हैं ....
तन राधा के रंग रंगा, मन वृन्दावन धाम !
एक रात मैं क्या रुका, बरसाना के ग्राम !!
साँस साँस चन्दन हुई, धड़कन हुई अधीर !
जब से मन में बस गयी, बृज बनिता की पीर !!
एक बूँद ने कर दिया, जीवन में यह फर्क !
झूठे सब लगने लगे, उद्धव जी के तर्क !!
व्याकुलता पूजा हुई, श्रद्धा हो गयी प्यास !
जाने जीवन को मिला, ये कैसा मधुमास !!
धड़कन यमुना तट हुयी, दिल कदम्ब की डार !
सारे तन में हो गया, कान्हा का विस्तार !!
bahut sunder prem rang me doobe hue dohe ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे, ब्रन्दावन का प्यार छलक रहा है | दिल खुश हो गया पढ़ के आभार ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिखा है........आपने.कितना प्यार समाते हैं.......दोनों रचनाएँ,आपकी .
जवाब देंहटाएंदोहा और ग़ज़ल...दोनों विधाओं में आप सिद्धहस्त है....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे.....बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbhut bhut sunder dohe aur gazal hai dono me hi apne bhut accha likha hai..
जवाब देंहटाएंजब कभी मुझको वो पाता है जरा भी तनहा,
जवाब देंहटाएंअपनी यादों के, सहारों से मिला देता है !
कितना भी तेज़ हो तूफान वो मांझी बनकर ,
मेरी कश्ती को, किनारों से मिला देता है !
bahut hi sundar har sher dil ko chhunewala.........
kafi dino se blog se dur thi,
व्याकुलता पूजा हुई, श्रद्धा हो गयी प्यास !
जवाब देंहटाएंजाने जीवन को मिला, ये कैसा मधुमास
बहुत ही सुन्दर शब्दों का संगम ... ।
आज तो कमाल का लेखन है……………सब राधा कृष्ण मय कर दिया…………आभार्।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे.....बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएंबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
आनंद ,
जवाब देंहटाएंख़रामा ख़रामा पहुँच रहे हो बेटा ! बहुत ही सुन्दर भाव संजोये हैं ! उत्तम !
दोहे और गज़ल दोनों ही मन भाये ..
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्री आनंद द्विवेदी जी
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल, अच्छा लिखते हैं,आप
आपका आभार
व्याकुलता पूजा हुई, श्रद्धा हो गयी प्यास |
जवाब देंहटाएंजाने जीवन को मिला, ये कैसा मधुमास |
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हाय क्या देखता है ..यार ! देखने भर से'
मेरी नज़रों को नजारों से मिला देता है |
.............................................................क्या कहना द्विवेदी जी !
दोहा हो या शेर ....बांसुरी वाले का रंग चढ़ा .....' सूर दास ज्यों काली कामरि चढे न दूजो रंग '
आनंद.....
जवाब देंहटाएंकुछ कहने को नहीं है..
बस इतना मन ज़रूर कर रहा है कि...
आपकी सारी रचनाएं चुरा लूं !!
***punam***
bas yun..hi..