दो घड़ी भी न मयस्सर हुई ,.. बसर के लिए
ख्वाब लेकर के मैं आया था उम्र भर के लिए !
कौन जाने कहाँ से, ... राह दिखादे दे कोई,
रोज बन-ठन के निकलता हूँ तेरे दर के लिए !
तेरी महफ़िल को, उजालों की दुआ देता हूँ ,
मैं ही माकूल नहीं हूँ, ....तेरे शहर के लिए !
रास्ते भर, तेरी यादें ही काम आनी हैं ,
घर में माँ होती तो देती भी कुछ सफ़र के लिए !
दिल को समझाना भी मुस्किल का सबब होता है
आज फिर जोर से धड़का है इक नज़र के लिए !
सिर्फ अहसास नहीं हूँ, वजूद है मेरा ,
मैं बड़े काम का बंदा हूँ किसी घर के लिए !
अजीब शख्स है 'आनंद', ...फकीरों की तरह ,
कोई शिकवा ही नहीं उसको मुकद्दर के लिए !
---आनंद द्विवेदी २५-०४-२०११
तेरी महफ़िल को, उजालों की दुआ देता हूँ ,
जवाब देंहटाएंमैं ही माकूल नहीं हूँ, ....तेरे शहर के लिए !
रास्ते भर, तेरी यादें ही काम आनी हैं ,
घर में माँ होती तो, देती भी कुछ सफ़र के लिए
वाह ... बहुत खूब कहा है हर पंक्ति बेमिसाल ...
बहुत सुन्दर गज़ल्………लाजवाब्।
जवाब देंहटाएंसिर्फ अहसास नहीं हूँ, ...... वजूद है मेरा ,
जवाब देंहटाएंमैं बड़े काम का बंदा हूँ, अपने घर के लिए
बहुत सुंदर लिखा है ...!!
प्रत्येक शेर लाजवाब...!
दिल को समझाना भी मुस्किल का सबब होता है ,
जवाब देंहटाएंआज फिर जोर से धड़का है, ..इक नज़र के लिए !
dil ko samjhana to waakai bahut mushkil hota hai, ek nazar ke liye dhadak ker phir khamosh hota hai
'रास्ते भर, ........... तेरी यादें ही काम आनी हैं
जवाब देंहटाएंघर में माँ होती तो,देती भी कुछ सफ़र के लिए '
*********************************
वाह द्विवेदी जी ,
गज़ब की ग़ज़ल प्रस्तुत की है आपने ...हर शेर बोलता है |
आपकी रचनाधर्मिता सराहनीय है......लेखनी की जय हो !
'रास्ते भर, ........... तेरी यादें ही काम आनी हैं
जवाब देंहटाएंघर में माँ होती तो,देती भी कुछ सफ़र के लिए '
*********************************
वाह द्विवेदी जी ,
गज़ब की ग़ज़ल प्रस्तुत की है आपने ...हर शेर बोलता है |
आपकी रचनाधर्मिता सराहनीय है......लेखनी की जय हो !
रास्ते भर, तेरी यादें ही काम आनी हैं ,
जवाब देंहटाएंघर में माँ होती तो, देती भी कुछ सफ़र के लिए !
दिल को समझाना भी मुस्किल का सबब होता है ,
आज फिर जोर से धड़का है, ..इक नज़र के लिए !
वाह बहुत खूब ....
आनंद आ गया ......
रास्ते भर, तेरी यादें ही काम आनी हैं ,
जवाब देंहटाएंघर में माँ होती तो, देती भी कुछ सफ़र के लिए !
एक बार फिर इस शेर के लिए दाद कबूल करें ......
सिर्फ अहसास नहीं हूँ, ...... वजूद है मेरा ,
जवाब देंहटाएंमैं बड़े काम का बंदा हूँ, अपने घर के लिए !
bahut achche....
दो घड़ी भी न मयस्सर हुई ,.. बसर के लिए ,
जवाब देंहटाएंख्वाब लेकर के मैं आया था उम्र भर के लिए !bhut hi khubsurat...
" तेरी महफ़िल को, उजालों की दुआ देता हूँ ,
जवाब देंहटाएंमैं ही माकूल नहीं हूँ, ....तेरे शहर के लिए !"
भावनाओं और सच्चे अहसास के साथ लिखी गयी रचना , अक्सर ह्र्दय में झंकार पैदा करने में समर्थ होती है ! आप अपने मकसद में कामयाब हैं आनंद ....
हार्दिक शुभकामनायें !
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद!!
जवाब देंहटाएंanand ki rachne se logo ko anand aa jata hai..yani bhaiya tum safal ho gaye..:)
जवाब देंहटाएं'रास्ते भर, ........... तेरी यादें ही काम आनी हैं
जवाब देंहटाएंघर में माँ होती तो,देती भी कुछ सफ़र के लिए
बहुत सुन्दर भावों से सजी अच्छी रचना|
आप को हार्दिक शुभ कामनाएं ..
रास्ते भर, तेरी यादें ही काम आनी हैं ,
जवाब देंहटाएंघर में माँ होती तो, देती भी कुछ सफ़र के लिए
जबर्दस्त्त पंक्तियाँ हैं.
रास्ते भर, तेरी यादें ही काम आनी हैं ,
जवाब देंहटाएंघर में माँ होती तो, देती भी कुछ सफ़र के लिए !
दिल को समझाना भी मुस्किल का सबब होता है ,
आज फिर जोर से धड़का है, ..इक नज़र के लिए !
सिर्फ अहसास नहीं हूँ, ...... वजूद है मेरा ,
मैं बड़े काम का बंदा हूँ, अपने घर के लिए !
अजीब शख्स है 'आनंद', ...फकीरों की तरह ,
कोई शिकवा ही नहीं उसको, ..मुकद्दर के लिए !
Laajawaab Anand ji Lajawaab..Mukarrar irshaad.