मेरे जिस्मो जान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
हैं दिले-नादान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
टूटते इन्सान को ये तोड़ देतीं और भी
प्यार के परवान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
एक खंजर की तरह अहसास में चुभती रहें,
मेरे गिरहेबान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
झनझनाकर टूटता हूँ कांच की मानिंद मैं,
मुस्कराती शान से, लिपटी हुई तन्हाईयाँ
मुझमे इन तन्हाइयों में फर्क है बारीक सा,
मेरी हर पहचान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
आज कल 'आनंद' है, तन्हाइयों के देश में,
यहाँ हर इंसान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
हैं दिले-नादान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
टूटते इन्सान को ये तोड़ देतीं और भी
प्यार के परवान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
एक खंजर की तरह अहसास में चुभती रहें,
मेरे गिरहेबान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
झनझनाकर टूटता हूँ कांच की मानिंद मैं,
मुस्कराती शान से, लिपटी हुई तन्हाईयाँ
मुझमे इन तन्हाइयों में फर्क है बारीक सा,
मेरी हर पहचान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
आज कल 'आनंद' है, तन्हाइयों के देश में,
यहाँ हर इंसान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ
आदरणीय आनंद जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
सोंच ही नही था की इसे कोई एक साल बाद भी पढ़ेगा ...बहुत अच्छा लगा धन्यवाद संजय जी !
जवाब देंहटाएंसंजयजी...
जवाब देंहटाएंआज का सारा दिन आपकी कविताओं के नाम रहा !
पढ़ना शुरू किया तो खुद को रोक नहीं पाई और अंत तक सब पढ़ गई..!
प्रेम और दर्द जिन्दगी में साथ-साथ चलते हैं..
बराबर का सफ़र तय करते हैं...
और ये सफ़र मैंने आपकी कविताओं के साथ दुबारा तय किया है..!!
फिर से लिख रही हूँ.....
"आपकी कलम को सलाम !!"
यहाँ हर इंसान से लिपटी हुई तन्हाईयाँ !!
जवाब देंहटाएंअक्षरशः सत्य!
पूनम जी और अनुपमा जी शुक्रिया आपका .. ह्रदय से आभार !
जवाब देंहटाएंशनिवार को me.next में आपके ब्लॉग का पता देखा तब से पढ़ना शुरू किया
जवाब देंहटाएंफाइनली आज आखिर पोस्ट तक पहुँच ही गयी :-)
सर मुझे आपका ब्लॉग बेहद, बेहद ही अच्छा लगा !!!!