शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

ग़रीब

ग़रीब
वह होता है
जो ... देता है
रोजगार
योजना बनाने वालों को,

चलाता है
अफ़सर से लेकर चपरासी तक
तनख्वाह से लेकर कमीशन तक
एक पूरी व्यवस्था ,

उद्योगपतियों के चेहरों को देता है मुस्कान
नेताओं को देता है
उनका हिस्सा
संसद को देता है
एक वजह
राजनीति को ... नारे
और
विदेशी बैंकों को धन

ग़रीब
कितना जरूरी है
देश की मुख्यधारा के लिए !

-आनंद 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें